लखनऊ : प्रदेश के परिवहन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दयाशंकर सिंह ने कहा कि प्रदेश की जनता को सुरक्षित एवं साफ-सुथरी परिवहन व्यवस्था उपलब्ध कराने के लिए उ0प्र0 परिवहन निगम कृतसंकल्प है। उन्होंने कहा कि बसों की सफाई के लिए प्रदेश के सभी डिपोज में आउटसोर्सिंग के माध्यम से आटोमोटिक वाशिंग प्लान्ट एवं मैनुअल व्यवस्था स्थापित की जा चुकी है। साथ ही मुख्यालय स्तर के नोडल अधिकारियों, अपर प्रबन्ध निदेशक एवं स्वयं प्रबन्ध निदेशक द्वारा व्यक्तिगत रूप से बसों की सफाई के सम्बन्ध में स्वयं नियमित निरीक्षण करेंगे। इसके भी निर्देश दिये गये हैं।
परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह ने कहा कि निगम की बसें व्यवस्थित सफाई के साथ ही संचालित हो, इसके लिए उच्च प्रबंधन प्रयास कर रहा है। कार्यशालाओं में सफाई के लिए स्थापित आटोमोटिक वाशिंग प्लान्ट के अतिरिक्त बस स्टेशनों पर भी लघु सफाई प्रारम्भ की गयी है। सफाई की व्यवस्था को और सुद्धढ़ करने के लिए परिवहन निगम द्वारा संचालित निगम अथवा अनुबन्धित बसों की बॉडी कण्डीशन, सीटों, शीशों एवं साफ-सफाई आदि की गुणवत्ता सुनिश्चित की जा रही है।
दयाशंकर सिंह ने कहा कि बसों की स्थिति असंतोषजनक पाये जाने पर क्षेत्रीय प्रबन्धक, सेवा प्रबन्धक, स०क्षे०प्र०, सीनियर फोरमैन, स्टेशन इंचार्ज ड्यूटी क्लर्क आदि पर अर्थदण्ड लगाने की भी व्यवस्था है। सफाई से सम्बन्धित जो भी आउटसोर्स फर्मों इसमें लगी हुई है उनके द्वारा सफाई सही प्रकार से न किये जाने पर उनके ऊपर अर्थदण्ड रोपित करने के साथ-साथ ऐसे सुपरवाईजर एवं अधिकारी जो जिम्मेदार पदों पर हैं, उन पर भी अर्थदण्ड रोपित करने की भी व्यवस्था है। बसों की सफाई के सम्बन्ध में निगम जीरो टॉलरेन्स नीति पर कार्य कर रहा है और इसी अभियान के अन्तर्गत अनुबन्धित बसों में भी सफाई के सम्बन्ध में व्यापक कार्यक्रम चलाया जा रहा है।
इसके अलावा स्वच्छ भारत मिशन के अन्तर्गत नगरीय क्षेत्र में स्थित सभी बस स्टेशनों पर व्यापक सफाई कार्यक्रम भी प्रारम्भ किया गया है। उन्होंने कहा कि निगम अपने यात्रियों को स्वच्छ बसें, स्वच्छ बस स्टेशन एवं अनुशासित चालक, परिचालक उपलब्ध कराने के लिए कटिबद्ध हैं। यात्रियों का फीडबैक/शिकायतें प्राप्त करने के लिए निगम में 24 घण्टे हेल्पलाईन नम्बर 18001802877 कार्यरत है, जिसमें किसी भी प्रकार की शिकायत अंकित करायी जा सकती है। हेल्पलाईन में प्राप्त शिकायतों की समीक्षा नियमित रूप से प्रबन्ध निदेशक द्वारा की जाती है एवं निस्तारण न होने पर सम्बन्धित अधिकारियों के प्रति दण्डात्मक कार्यवाही भी की जाती है।