लखनऊ : जन्मजात दोषों की पहचान और समझ विकसित किए जाने हेतु प्रदेश के आर०बी०एस०के० अंतर्गत नोडल अधिकारियों की टी0ओ0टी0 (प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण) दिनांक 23 एवं 24 फरवरी 2023 को एन0एच0एम0 मुख्यालय लखनऊ में आहूत किया गया। साथ ही जनपद स्तर पर तैनात चिकित्सक, स्टाॅफ नर्स, एवं आर0बी0एस0 के0 के अंतर्गत ब्लाॅक स्तरीय एम0एच0टी0 के सदस्यों को वेबीनार के माध्यम से जोड़ा गया। जिसमें अधिकारियों को जन्मजात दोषों से संबंधित नवीन जानकारियों से अवगत कराया गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ महाप्रबंधक, राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम, डॉ मनोज कुमार शुक्ल, संयुक्त सचिव, डी0जी0एफ0डव्लयू डाॅ0 अमित सिंह एवं उप महाप्रबंधक डॉक्टर रेशमा मसूद द्वारा किया गया।
इस अवसर पर डॉ मनोज कुमार शुक्ल, ने कहा कि प्रदेश में बच्चों के स्वास्थ्य परीक्षण एवं उपचार हेतु ‘राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम’ अंतर्गत अत्यन्त महत्वाकांक्षी एवं वृहद गतिविधियां संचालित है। सामान्यतः जन्म लेने वाले लगभग 6 प्रतिशत बच्चे किसी न किसी जन्मजात दोष से ग्रसित होते है। जन्मजात दोष बहुत तीव्र प्रकार का हो, तो इन बच्चों में जन्म के तुरन्त बाद 24 घण्टों में मृत्यु हो सकती है। यदि समय पर सही उपचार मिल जाए तो बहुत से बच्चे मृत्यु से बच सकते हैं। यदि समय पर उपचार न मिले परन्तु जान बच जाए तो भी उनमें स्थाई विकलांगता हो सकती है, जो मानसिक रुप से उन्हें अपंग बना सकती है। ऐसी स्थिति में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम अन्तर्गत प्रत्येक कर्मचारी का प्रयास होना चाहिए ताकि आंगनवाड़ी केन्द्रों एवं स्कूलों में भ्रमण करने वाली टीमों द्वारा बच्चों में रोगों के चिन्हीकरण के अतिरिक्त प्रसव इकाईयों पर जन्म लेने वाले नवजात शिशुओं को समुचित अनिवार्य देखभाल मिले तथा यहाँ तैनात स्टॉफ के द्वारा किसी भी जन्मजात दोष को समय पर पहचान कर सही इकाई तक संदर्भित किया जा सके, जहाँ उसका हर संभव उपचार हो सके।
डाॅ0 अमित सिंह द्वारा अवगत कराया कि हर एक बच्चे को जीवन में अच्छी शुरुआत मिले जिससे कि वह स्वस्थ, रचनात्मक और शांतिप्रिय समुदाय के निर्माण में अपनी भूमिका निभा सके, चूंकि शुरुआत के दो वर्षों में ही बच्चों के दिमाग का लगभग 80 प्रतिशत विकास हो चुका होता है इसलिए यह बहुत महत्वपूर्ण है कि इस उम्र में बच्चे के स्वास्थ्य, पोषण और उत्तरदायी देखभाल पर विशेष बल दिया जाए। उन्होंने बताया कि कार्यक्रम हित में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग में कार्यरत समस्त फ्रंट लाईन वर्कर को प्रशिक्षित किया जा रहा है ताकि उनमें जन्मजात दोषों की पहचान और समझ विकसित हो एवं बच्चों को पहचानकर संदर्भन सुनिश्चित हो। कहा कि यह प्रशिक्षण से अधिकारियों को जन्मजात रोगों के प्रति सूक्ष्म जानकारी प्राप्त होगी परिणामस्वरूप अन्य संबंधित अधिकारियों कर्मचारियों के ज्ञान में वृद्धि तथा स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं व चिकित्सकों के कौशल में बढ़ोत्तरी करके हम निश्चय ही नवजात शिशुओं व छोटे बच्चों की जन्मजात दोषों से बचाव कर बेहतर देखभाल में सफल हो सकेगें।
प्रशिक्षण के दौरान डाॅ रेशमा मसूद द्वारा आर0बी0एस0के0 कार्यक्रम के अतंर्गत विभिन्न गतिविधियों की भौतिक एवं वित्तीय समीक्षा भी की गई। प्रशिक्षण के दौरान शिशु विकास एवं जन्मजात रोगों की पहचान के संदर्भ में में प्रतिभागियों के साथ खुली चर्चा की गई। प्रशिक्षण के अवसर पर बाल चिकित्सक डाॅ0 सलमान खान द्वारा जन्मजात दोषों की पहचान के संदर्भ में प्रस्तुतिकरण कर प्रतिभागियों की जिज्ञासाओं का समाधान किया गया।